समाधान शिविर में 16 लाख से अधिक का भ्रष्टाचार उजागर, पंचायतों को नहीं थी जानकारी
कांग्रेस बोली- यह संगठित अपराध, दोषियों पर दर्ज हो FIR, नहीं तो होगा उग्र प्रदर्शन
मुंगेली।
राज्य सरकार की पारदर्शिता और सुशासन के उद्देश्य से चलाई जा रही “समाधान शिविर (सुशासन तिहार)” योजना के अंतर्गत जनपद पंचायत पथरिया में गंभीर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। जानकारी के अनुसार, योजना के नाम पर ग्राम पंचायतों से बिना सूचना और अनुमति के डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग करते हुए करीब ₹16,09,700 की सरकारी राशि कुछ चुनिंदा निजी फर्मों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई।📌 क्या है मामला?
जनपद पंचायत पथरिया की 64 ग्राम पंचायतों से संबंधित सामग्री खरीद और व्यवस्था के नाम पर उक्त राशि निजी फर्मों को दी गई, लेकिन संबंधित पंचायतों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। आरोप है कि डिजिटल सिग्नेचर जबरन जनपद कार्यालय में रखवाकर फर्जी ट्रांजैक्शन किए गए।
❗ सामने आईं बड़ी अनियमितताएँ:
पंचायतों को फंड ट्रांसफर की जानकारी नहीं थी।
डिजिटल सिग्नेचर जबरन कार्यालय में रखवाकर भुगतान किया गया।
कई फर्मों के नाम बिलों में ही नहीं थे।
फर्जी और एक जैसे टेम्पलेट वाले बिल लगाए गए।
न डिलीवरी, न फोटो, न साइड रिपोर्ट, न कोई प्रमाण प्रस्तुत।
🏢 किसे कितनी राशि दी गई?
फर्म का नाम ग्राम पंचायतें स्थानांतरित राशि
श्रीराम बोरवेल्स 39 पंचायतें ₹9,71,500
गौरव ट्रेडर्स 14 पंचायतें ₹3,61,000
खुशी कम्प्युटर सेंटर 7 पंचायतें ₹1,76,800
राजा ट्रेडर्स पथरिया 3 पंचायतें ₹75,000
पटेल रिवाइंडिंग सेंटर 1 पंचायत ₹25,400
शिकायत और जांच की मांग
जनदर्शन में पार्षद दीपक साहू ने कलेक्टर कुंदन कुमार को लिखित शिकायत सौंपते हुए इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि बिना पंचायतों को जानकारी दिए डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग कर राशि ट्रांसफर करना खुला भ्रष्टाचार और पंचायत स्वशासन का सीधा अपमान है।

❓ बड़ा सवाल: बोरवेल फर्म का समाधान शिविर से क्या संबंध?
पंचायतों ने स्पष्ट किया कि न तो कोई बोरवेल लगाया गया, न ही कोई सामग्री पहुँची। फिर भी इन फर्मों को भुगतान कैसे और क्यों हुआ? सभी बिल एक जैसे टेम्पलेट में बने थे, जिससे यह एक पूर्व नियोजित घोटाले की ओर इशारा करता है।
⚠️ पंचायत अधिकारियों पर भी उठे सवाल
बिना अनुमति के भुगतान और जबरन डिजिटल सिग्नेचर कार्यालय में रखवाना, पंचायतों की वित्तीय स्वायत्तता का उल्लंघन है। कुछ सरपंचों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे डर की वजह से खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं।
🔍 जांच टीम गठित, जांच जारी
शिकायत के बाद कलेक्टर कुंदन कुमार ने प्राथमिक स्तर पर जांच के निर्देश दिए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच टीम गठित कर दी गई है। जांच अधिकारी का कहना है कि अभी जांच जारी है और सभी दस्तावेजों की बारीकी से समीक्षा की जा रही है।

🗣️ कांग्रेस ने उठाई सख्त कार्रवाई की मांग
कांग्रेस जिला अध्यक्ष घनश्याम वर्मा ने कहा कि “यह पूरा मामला अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया एक सुनियोजित और संगठित अपराध प्रतीत होता है। बिना पंचायत की जानकारी और अनुमति के ऐसा फर्जीवाड़ा लोकतंत्र और जनता के अधिकारों के साथ अन्याय है।”
उन्होंने मांग की कि –
सभी दोषियों पर एफआईआर दर्ज हो।
इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो।
अगर जल्द सख्त कार्यवाही नहीं की गई, तो कांग्रेस जनता के विकास के पैसों की रक्षा के लिए सड़क पर उग्र प्रदर्शन करने को बाध्य होगी।
