मुंगेली | 2 अगस्त 2025
जिले की सबसे हाईटेक और सुरक्षित मानी जाने वाली पृथ्वी ग्रीन कॉलोनी, जो कलेक्टर बंगले के ठीक पीछे स्थित है, वहां एक ही रात में चार मकानों के ताले तोड़कर करीब 30 लाख रुपये से अधिक की चोरी हो गई। चोर न सिर्फ लाखों की नगदी और जेवर लेकर फरार हो गए, बल्कि वे दिल्ली तक हवाई जहाज से पहुँच गए।
इस घटना से पूरे जिले में हड़कंप मच गया है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि इस कॉलोनी में जिले के कई शीर्ष अधिकारी, कर्मचारी और विधायक स्वयं निवासरत हैं। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई है कि इस कॉलोनी में न तो एक भी स्ट्रीट लाइट है, न ही कोई सीसीटीवी कैमरा।
पुलिस की कार्रवाई: ऑपरेशन बाज की बड़ी सफलता
मुंगेली पुलिस ने इंटिग्रेटेड मॉडर्न कंट्रोल रूम के जरिए तकनीकी मदद लेते हुए “ऑपरेशन बाज” के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए इस पेशेवर गैंग का पर्दाफाश किया है।
मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में उद्घाटित कंट्रोल रूम से प्राप्त तकनीकी मदद के आधार पर बिलासपुर रेंज आईजी डॉ. संजीव शुक्ला के मार्गदर्शन और पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के निर्देशन में विशेष टीमों का गठन किया गया।
27 जुलाई की रात पृथ्वी ग्रीन कॉलोनी में आयुष राम के किराये के मकान में रखी ₹24,50,000 नकद और सोने-चांदी के जेवरात चोरी हो गए। उसी रात त्रिभुवन यादव के घर से भी नगद और जेवरात चोरी हुए।
पुलिस ने कॉलोनी, शहर और एयरपोर्ट तक के सीसीटीवी फुटेज खंगालकर आरोपियों की लोकेशन और वाहन ट्रेस किया। सफेद रंग की वैगन-आर कार (CG-04 KY-8365) को ट्रैक करते हुए मध्यप्रदेश और दिल्ली में दबिश दी गई। ग्वालियर से सूरज कुर्रे को गिरफ्तार किया गया, जबकि संदीप सतनामी अभी फरार है
चोरी के बाद दिल्ली में कर रहे थे ऐश
आरोपियों ने चोरी के बाद राजधानी दिल्ली में जाकर आराम से जीवन बिताया। लेकिन पुलिस की सतत निगरानी से आरोपी ज्यादा दिन छिप नहीं पाए।
गिरफ्तार आरोपियों में –
1. वेदप्रकाश साहू उर्फ बेदू (30), निवासी भाठापारा (ग्रामीण),
2. गुलशन साहू (25), निवासी सिंगारपुर,
3. दो विधि से संघर्षरत बालक शामिल हैं।
इनके पास से पुलिस ने कुल 30,67,740 रुपये का माल बरामद किया, जिसमें:
₹20,14,740 नकद
सोने-चांदी के जेवरात
चोरी में प्रयुक्त कार
तीन मोबाइल फ़ोन शामिल हैं।
गिरफ्तार आरोपी पहले भी चोरी, हत्या के प्रयास और मारपीट के मामलों में लिप्त रह चुके हैं।
अब उठ रहे हैं प्रशासन पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने जिले की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
👉 पृथ्वी ग्रीन कॉलोनी, जहां से यह चोरी हुई, वहां कलेक्टर बंगला के ठीक पीछे होने के बावजूद न कोई सीसीटीवी कैमरा है, न ही स्ट्रीट लाइट।
👉 इस कॉलोनी को VIP ज़ोन माना जाता है, जहां विधायक, आईएएस-आईपीएस अधिकारी, और जिला प्रशासन के कई कर्मचारी निवास करते हैं। इसके बावजूद यदि इस स्तर की कॉलोनी में सुरक्षा नहीं है, तो आम कॉलोनी की स्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं।
अब सवाल यही—
जब जिले की सबसे पॉश और वीआईपी माने जाने वाली कॉलोनी ही असुरक्षित है, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है?
क्या यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं है?
क्या अफसर खुद के लिए भी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं?
अब देखना यह है कि प्रशासन इस घटना से सबक लेता है या फिर अगली बड़ी घटना की राह देखता है…


