बलरामपुर। जिले में गिट्टी और रेत के अवैध खनन तथा ओवरलोड वाहनों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। आरटीओ और माइनिंग विभाग की कथित मिलीभगत से बिना जीएसटी बिल और पिटपास के सैकड़ों वाहन खुलेआम दौड़ रहे हैं। ये वाहन न केवल जिले में, बल्कि उत्तर प्रदेश और झारखंड तक गिट्टी पहुंचा रहे हैं। इस अवैध कारोबार से खनिज विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है, वहीं सड़कें गड्ढों में तब्दील होकर आम जनता के लिए खतरा बन चुकी हैं।

नियमों के अनुसार गिट्टी का परिवहन केवल ट्रांज़िट पास और बिल के साथ ही संभव है, लेकिन दर्जनों वाहन बिना दस्तावेज धड़ल्ले से चल रहे हैं। विभाग कभी-कभार कार्रवाई का दिखावा जरूर करता है, मगर बड़े स्तर पर अवैध कारोबार पर कोई रोक नहीं है। गौरतलब है कि 10 जून से 15 अक्टूबर तक छत्तीसगढ़ में नदी-नालों से रेत और गिट्टी का उत्खनन और परिवहन पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बावजूद प्रशासन की नाक के नीचे कारोबार जारी है।

ओवरलोडिंग से सड़कें गड्ढों में तब्दील
अंबिकापुर से पस्ता और राजपुर से कुसमी मार्ग अब जर्जर हो चुके हैं। सड़क की डामर परत उखड़ गई है और जगह-जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं। वाहन चालकों का कहना है कि अब सड़क में गड्ढे नहीं, बल्कि गड्ढों में सड़क ढूंढनी पड़ती है। गागर और गेउर नदी की पुलियों की हालत अत्यंत खराब है। रेलिंग टूट चुकी है और बारिश तथा अंधेरे में हादसों का खतरा और अधिक बढ़ गया है।
बिना अनुमति चल रहे क्रेशर
जिले में केवल 31 क्रेशर को ही पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत अनुमति दी गई है, जबकि 100 से अधिक क्रेशर संचालित हो रहे हैं। अधिकांश के पास डायवर्शन, पीटपास, लीज और पर्यावरण अनुमति तक नहीं है। कागज़ों पर बंद दिखाए गए कई क्रेशर जमीन पर लगातार सक्रिय हैं। निरीक्षण न होने से संचालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
ग्रामीणों की शिकायतें बेअसर
ग्रामीणों ने बार-बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई। स्थानीय पत्रकारों, समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासन को सूचित किया, परंतु अधिकारियों की कार्यवाही केवल कागजों और आश्वासनों तक सीमित है। नतीजतन, अवैध खनन और ओवरलोड वाहनों से आम जनता का जीवन और अधिक मुश्किल हो गया है।