गिरौदपुरी/छत्तीसगढ़। सतनाम संप्रदाय के महान प्रतापी, शूरवीर और समाज सुधारक राजा गुरु बालकदास जी की जयंती भाद्रपद कृष्ण अष्टमी पर पारंपरिक रूप से मनाई जा रही है। तीन दिवसीय आयोजन की शुरुआत सप्तमी से हुई है, जो नवमी तक चलेगी। इस अवसर पर गिरौदपुरी धाम सहित पूरे प्रदेश और देशभर में विशेष कार्यक्रम हो रहे हैं।
गुरु घासीदास जी और माता सफूरा के द्वितीय पुत्र गुरु बालकदास जी ने अपने पिता के सतनाम मार्ग को जन-आंदोलन का रूप दिया। उन्होंने अंग्रेजों से मालिक मकबूजा कानून की मांग की, जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी जमीन का मालिक बन सके। भू-दास और बेगार प्रथा के खिलाफ संघर्ष कर वे पीड़ित, मजदूर और गरीब तबकों के मसीहा बने।
इतना ही नहीं, गुरु बालकदास जी ने समाज में शिक्षा के प्रसार, बलि प्रथा और सती प्रथा पर रोक लगाने तथा विधवा विवाह को बढ़ावा देने के लिए निरंतर आवाज उठाई। छत्तीसगढ़ में धार्मिक शोषण और असमानता के खिलाफ उनके आंदोलन ने नई चेतना जगाई। जनता की बुनियादी समस्याओं को देखते हुए उन्होंने जगह-जगह कुएं और तालाब खुदवाए।
शूरवीरता के लिए भी गुरु बालकदास जी का नाम अमर है। छत्तीसगढ़ में पिण्डारियों द्वारा की जाने वाली लूट, डाका और हत्याओं के खिलाफ उन्होंने अपने शस्त्र अखाड़ा योद्धाओं के साथ मोर्चा लिया और उन्हें मार भगाने का कार्य किया। सामंत और सामंतवाद उनके नाम से भयभीत रहते थे।
उनकी जयंती के उपलक्ष्य में गिरौदपुरी धाम में अर्धवार्षिक मेले का आयोजन हो रहा है। इसके साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में और देश के विभिन्न राज्यों – मध्यप्रदेश, दिल्ली, असम, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल सहित जहां-जहां सतनामी समाज निवास करता है – वहां-वहां श्रद्धा और उत्साह से आयोजन किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर सतनामी समाज और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने गुरु बालकदास जी के आदर्शों को अपनाने और समाज में समानता, भाईचारे तथा न्याय के लिए कार्य करने का आह्वान किया है।
