✅ क्या सुख (Happiness) जीवन का अंतिम लक्ष्य है? –
जीवन में हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में सुख की तलाश करता है। कोई धन कमाकर सुख चाहता है, कोई परिवार के साथ समय बिताकर, कोई समाजसेवा करके और कोई आध्यात्मिक मार्ग से। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सुख जीवन का एक प्रमुख और स्वाभाविक लक्ष्य है। लेकिन क्या यह “अंतिम लक्ष्य” भी है? आइए, इसे गहराई से समझें:
🌼 1. सुख की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग होती है
- किसी के लिए सुख पैसा है, किसी के लिए शांति, किसी के लिए सफलता, और किसी के लिए दूसरों की मदद करना।
- इसलिए यह एक व्यक्तिगत अनुभव है, जो समय और परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है।
🌱 2. सुख क्षणिक भी हो सकता है और स्थायी भी
- खाने, घूमने, मनोरंजन जैसे सुख क्षणिक होते हैं, जबकि आत्मिक संतोष, रिश्तों में प्रेम, सेवा का भाव ये दीर्घकालिक सुख देते हैं।
- अगर हम केवल क्षणिक सुख को अंतिम लक्ष्य मानें, तो हम जीवन की गहराई से चूक सकते हैं।
🧘♂️ 3. धर्म और दर्शन क्या कहते हैं?
- हिंदू दर्शन में ‘मोक्ष’ को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना गया है, जो परमानंद की अवस्था है — यानी सर्वोच्च सुख।
- बौद्ध धर्म में ‘निर्वाण’ — दुखों से मुक्ति को अंतिम लक्ष्य माना गया है।
- इस प्रकार, अधिकतर दर्शन ‘सुख’ को तो स्वीकारते हैं, पर एक आध्यात्मिक और स्थायी रूप में।
💓 4. सुख के साथ-साथ कर्तव्य, प्रेम और सेवा भी महत्वपूर्ण हैं
- केवल अपने सुख की चाह नहीं, बल्कि दूसरों के सुख का माध्यम बनना भी जीवन का बड़ा लक्ष्य हो सकता है।
- समाज, परिवार और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाते हुए मिलने वाला संतोष भी गहरा सुख देता है।
🎯 निष्कर्ष:
जी हाँ, सुख जीवन का एक प्रमुख लक्ष्य है, लेकिन यदि हम इसे केवल भौतिक सुखों तक सीमित कर दें, तो हम जीवन के सच्चे अर्थ से दूर हो सकते हैं।
सच्चा सुख तब मिलता है जब हम आत्मिक संतुलन, दूसरों की भलाई, प्रेम, और अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाते हैं। इसलिए, सुख को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना जा सकता है – अगर वह संपूर्ण, गहरा और दूसरों के लिए भी उपयोगी हो।