आज सम्पूर्ण विश्व में गुरु नानक देव जी की जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। इस पावन अवसर पर हम सब “सत नाम, वाहे गुरु” का स्मरण करते हुए गुरु जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।

🌿 गुरु नानक देव जी कोटि-कोटि नमन
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु थे और उन्होंने 15वीं शताब्दी में एक ऐसे समाज की नींव रखी जो समानता, सत्य, प्रेम, करुणा और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित है। उनका जन्म 1469 ईस्वी में तलवंडी (आज का ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में मेहता कालू और माता तृप्ता के घर हुआ। बचपन से ही वे असाधारण ज्ञान, करुणा और आध्यात्मिकता के प्रतीक थे।
🔱 गुरु नानक देव जी का जीवन-दर्शन
गुरु नानक देव जी ने समाज में फैली ऊँच-नीच, जात-पात, पाखंड और धार्मिक भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है — और वह हर जगह विद्यमान है। उनका प्रसिद्ध संदेश था:
> “एक ओंकार सत नाम, करता पुरख, निर्भउ, निरवैर, अकाल मूरत, अजूनी सैभं, गुरु प्रसाद।”
जिसका अर्थ है — ईश्वर एक है, वह सत्य है, वह सर्वशक्तिमान सृजनकर्ता है, निर्भय है, किसी से वैर नहीं रखता, अमर है, अजन्मा है और गुरु की कृपा से जाना जा सकता है।
🌞 गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएँ
1. नाम जपो (ईश्वर का स्मरण करो) – सच्चा ध्यान केवल प्रभु के नाम में है।
2. किरत करो (ईमानदारी से जीवन यापन करो) – मेहनत से कमाओ और अपने कर्मों से समाज को लाभ पहुँचाओ।
3. वंड छको (अपना हिस्सा बाँटो) – अपने अर्जन का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों में बाँटना सच्ची सेवा है।
4. समानता का संदेश – उन्होंने कहा कि जाति, धर्म या लिंग के आधार पर किसी को छोटा-बड़ा नहीं समझना चाहिए।
5. नारी सम्मान – उन्होंने स्त्रियों के सम्मान की बात करते हुए कहा,
> “सो क्यों मंदा आखीए जित जम्मे राजान।”
अर्थात् – उसे नीचा क्यों कहा जाए, जिससे राजा तक जन्म लेते हैं।
6. पाखंड और अंधविश्वास का विरोध – उन्होंने आडंबरों से ऊपर उठकर सच्चे कर्म और भक्ति पर बल दिया।
🌍 गुरु नानक देव जी की यात्राएँ (उदासियाँ)
गुरु नानक देव जी ने चार दिशाओं में व्यापक यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है।
इन यात्राओं का उद्देश्य था – विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समाजों में जाकर सत्य, प्रेम और मानवता का संदेश देना।
वे अरब, तिब्बत, श्रीलंका, कश्मीर, बंगाल, मक्का-मदीना तक गए।
उनके साथ उनके परम भक्त भाई मरदाना हमेशा रहते थे, जो रबाब बजाते थे।
✨ गुरु नानक देव जी के प्रसिद्ध विचार
“ना कोई हिन्दू, ना कोई मुसलमान — सब इंसान हैं।”
“यदि तुम अमीर बनना चाहते हो, तो दान की आदत डालो।”
“जो परमात्मा को पहचान लेता है, उसे किसी से भय नहीं रहता।”
“सच्चा धर्म वही है जो सबके कल्याण की भावना रखे।”
🛕 गुरुद्वारों की परंपरा और लंगर की शुरुआत
गुरु नानक देव जी ने लंगर प्रणाली की शुरुआत की — जहाँ हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
इससे समानता और एकता का प्रतीक स्थापित हुआ।
उनके निवास करतारपुर (अब पाकिस्तान में) को पहला गुरुद्वारा माना जाता है, जिसे उन्होंने स्वयं स्थापित किया था।
💫 गुरु नानक देव जी की जयंती का महत्व
गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है।
इस दिन देशभर के गुरुद्वारों में अखंड पाठ, कीर्तन, प्रभात फेरी और लंगर का आयोजन किया जाता है।
भक्त “सत नाम वाहे गुरु” का जाप करते हुए गुरु के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
> 🌸 गुरु नानक देव जी के पवित्र उपदेश से हम अपने जीवन में सत्य, प्रेम, शांति और करुणा का प्रकाश फैलाएँ।
🌸 आइए, उनके बताए तीन मूल मंत्र — नाम जपो, किरत करो, वंड छको — को जीवन में अपनाएँ।
🌸 गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ! वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!