बलरामपुर/कुसमी | 22 जुलाई 2025
बलरामपुर जिले के कुसमी एसडीएम करुण डहरिया और उनके सहयोगियों पर ट्रक छुड़ाने के एवज में 6 लाख 30 हजार रुपए की अवैध वसूली का गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप झारखंड निवासी कृष्णा प्रसाद ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर, पुलिस महानिदेशक रायपुर एवं पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा रेंज अंबिकापुर को ज्ञापन सौंपते हुए लगाए हैं। इस मामले से जुड़ा एक कथित ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
क्या है पूरा मामला?
प्रार्थी कृष्णा प्रसाद (61), निवासी थाना महुआडांड़, जिला लातेहार (झारखंड) ने आरोप लगाया है कि उन्होंने ग्राम राजेन्द्रपुर (थाना सामरी) के आरिफ अंसारी द्वारा भूमिस्वामी हक की जमीन पर उगाई गई यूकेलिप्टस की लकड़ी ठेकेदार प्रदीप (डालटेनगंज) को बेची थी। ट्रक में लकड़ी लोड कर 11 अप्रैल 2025 को जब सामरी होते हुए ट्रक रवाना किया गया, तो केरापाट में पुलिस ने ट्रक रोक दिया और सूचना कुसमी एसडीएम करुण डहरिया को दी।
एसडीएम के मौके पर पहुँचने के बाद लकड़ी समेत ट्रक को जब्त कर लिया गया। आरोप है कि इसके बाद प्रार्थी को ट्रक छुड़वाने के लिए संजय प्रसाद गुप्ता और कुंदन गुप्ता ने संपर्क किया और एसडीएम के “खास” बताकर ट्रक छुड़वाने के एवज में 6.30 लाख रुपये की मांग की।
पैसे लेने का विस्तृत विवरण:
16 अप्रैल को प्रार्थी से 2.65 लाख नगद लिए गए
उसी दिन QR कोड के माध्यम से 40 हजार रुपये जमा कराए गए
17 अप्रैल को 2.25 लाख नकद और 10 हजार QR कोड से वसूले गए
18 अप्रैल को मीडिया और थाना को “शांत” कराने के नाम पर 90 हजार (35+55 हजार) की और मांग की गई
शराब पार्टी के नाम पर 12 हजार की शराब भी खरीदवाई गई
प्रार्थी का दावा है कि इन सभी भुगतानों के डिजिटल साक्ष्य (QR कोड ट्रांजेक्शन) उनके पास मौजूद हैं।
प्रशासन और संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया
इस गंभीर आरोप के बाद कलेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, “आप शिकायत की कॉपी भेजें, जांच के बाद यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं, एसडीएम करुण डहरिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया और कहा, “मेरे नाम पर जो भी पैसे लिए गए हैं, जांच के बाद यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।”
शिकायतकर्ता कृष्णा प्रसाद का स्पष्ट आरोप है कि यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित अवैध वसूली और धोखाधड़ी का मामला है, जिसमें एसडीएम, उनके सहयोगी और स्थानीय पुलिसकर्मी शामिल हैं। उन्होंने सभी पर कार्रवाई कर रकम की वापसी की मांग की है।
मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में गरमा गया है। सोशल मीडिया में वायरल ऑडियो के चलते दबाव बढ़ रहा है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।



