धान खरीदी पर  छाया ,संकट सहकारी समिति कर्मचारियों ने सौंपा ज्ञापन, शासन से की चार सूत्रीय मांग

रायपुर / मुंगेली, 24 अक्टूबर 2025।

छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ रायपुर (पंजीयन क्रमांक 6685) ने धान खरीदी और भुगतान में हो रही देरी को लेकर राज्य शासन के प्रति नाराजगी जताई है। महासंघ ने मुख्यमंत्री सहित संबंधित विभागों को ज्ञापन सौंपकर चार सूत्रीय मांगों को शीघ्र पूरा करने की अपील की है

महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि शासन स्तर पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेंगे।

ज्ञापन मुख्यमंत्री, खाद्य मंत्री, सहकारिता मंत्री, अपर मुख्य सचिव (खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग) तथा सचिव (सहकारिता विभाग) को भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों के माध्यम से धान खरीदी की जाती है, लेकिन परिवहन में विलंब और मार्कफेड रायपुर द्वारा भुगतान राशि जारी न होने से समितियों के कर्मचारी लंबे समय से वेतनविहीन हैं।

महासंघ ने बताया कि वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान परिवहन में देरी से बड़ी मात्रा में धान समितियों में अटका रहा, जिससे कई समितियाँ भुगतान संकट में फँसी हुई हैं। इस स्थिति के कारण समितियों के संचालन और कर्मचारियों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

संघ ने यह भी कहा कि विभागीय आदेश (दिनांक 12 दिसंबर 2024 और 25 फरवरी 2025) के अनुसार समय पर कार्रवाई नहीं की गई, जिससे समितियों में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। महासंघ ने शासन से लंबित परिवहन भुगतान जारी करने और आगामी खरीदी सत्र के लिए पूर्व स्वीकृति देने की मांग की है, ताकि किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।

महासंघ की प्रमुख चार मांगें —

1. प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए नियमित वेतन भुगतान हेतु राशि जारी की जाए।


2. धान परिवहन भुगतान में देरी दूर करते हुए मार्कफेड रायपुर को राशि वितरण का निर्देश दिया जाए।


3. समितियों के प्रबंधकों को ₹3 लाख का अनुदान राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाए।


4. वर्ष 2018 की भर्ती संशोधन रिपोर्ट के अनुसार समिति कर्मचारियों की नियमित भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की जाए तथा 50% विभागीय भर्ती लागू की जाए।

महासंघ ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने शीघ्र समाधान नहीं किया, तो कर्मचारी 3 नवंबर से अनिश्चित कालीन हड़ताल में जाने  के लिए बाध्य होंगे।

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Author: Nawabihan

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