मुंगेली। डॉ. भीमराव अंबेडकर शिक्षण संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ’’एक शाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम – तिरंगा यात्रा’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
विद्यालय परिसर से प्रारंभ हुई तिरंगा यात्रा रैली अमर जवान शहीद स्मारक (डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी स्टेडियम) पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद एस.एन.जी. कॉलेज, महाराणा प्रताप चौक, परमेश्वरी चौक, परशुराम चौक, गुरु घासीदास चौक होते हुए देवगांव, सुरदा, संगवा से होते हुए देवरी महंत पहुँची।
देवरी महंत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके परिवारों के योगदान पर चर्चा की गई। वरिष्ठ नागरिक राजमहंत दिनदयाल कोशले एवं एच.आर. भास्कर ने सेनानियों से जुड़े संस्मरण सुनाए। कार्यक्रम में उपस्थित जनों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें ग्राम देवरी महंत में भव्य स्मारक एवं प्रवेश द्वार निर्माण तथा कलेक्टोरेट स्थित महात्मा गांधी प्रतिमा के पास सेनानियों के नाम की शिलालेख पट्टिका स्थापित करने की मांग की गई।
संस्थान के अध्यक्ष राजेन्द्र दिवाकर ने कहा कि देवरी महंत गांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमि है, यहाँ से 22 सेनानी आजादी की लड़ाई में शामिल हुए। जिले में कुल 36 सेनानियों का योगदान रहा है। यह संख्या देश के किसी भी अन्य गांव से अधिक बताई जाती है। उन्होंने कहा कि हमें सेनानियों के परिवारों से मिलकर उनके संघर्षों की गाथा सुननी चाहिए और सम्मान देना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
संस्थान द्वारा पिछले सात वर्षों से लगातार यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष 36 में से 15 सेनानियों के परिजनों को शाल एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। इनमें दीपक गुप्ता, दास कुर्रे, मुंजन, गुलाब कोशले, देवप्रसाद गेंदले, महेन्द्र कोशले, दीपक सेन्ड्रे, लालजी कुर्रे, राजमहंत दिनदयाल कोशले, पुनाराम, उमा कात्यायनी कोशले, पं. ईशान बंजारे, रामकुमार बैस और शरद ताम्रकार शामिल रहे।
इसके बाद आगर क्लब स्थित सेनानियों की शिलालेख पट्टिका के समक्ष 36 सेनानियों के नामों का वाचन किया गया और 36 मोमबत्तियाँ जलाई गईं। तत्पश्चात संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन, राष्ट्रगान और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर संस्थाध्यक्ष राजेन्द्र दिवाकर, व्यवस्थापक एच.आर. भास्कर, प्राचार्य आशा दिवाकर, सह-प्राचार्य छत्रपाल डाहिरे, शत्रुहन, जगदीश प्रसाद, लक्ष्मीकांत, वीरसिंह, जितेन्द्र, नरेश, देवप्रसाद, अंबिका कोशले, चंदूलाल मंडलोई, सौखीलाल महिलांग, नंदनराज, दीनबंधु, माखनलाल, प्रेमचंद, धनलाल, राहुल, योगेश, तोपचंद, अनिता, अंजिता, नीलू, शशिकला, सरस्वती, कलावती, लीला, भुवनेश्वरी, जीनी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे।
