आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस पर बरसे चंदूलाल साहू, बोले – जब-जब सत्ता संकट में होती है, कुचल देती है संविधान और लोकतंत्र


मुंगेली।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर मुंगेली स्थित विश्राम गृह में आयोजित पत्रकार वार्ता में छत्तीसगढ़ राज्य भंडारगृह निगम के अध्यक्ष एवं महासमुंद के पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जब-जब कांग्रेस की सत्ता संकट में होती है, तब वह लोकतंत्र, संविधान और देश की आत्मा को कुचलने से पीछे नहीं हटती।

उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आंतरिक अशांति’ का हवाला देते हुए आपातकाल घोषित कर दिया था। यह निर्णय किसी युद्ध, हिंसा या विद्रोह के कारण नहीं बल्कि अपने ही चुनाव को रद्द किए जाने की हताशा में लिया गया था।

पूर्व सांसद श्री साहू ने कहा कि इंदिरा गांधी ने सत्ता बचाने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों तक को रौंद डाला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी का चरित्र अब भी वैसा ही तानाशाही वाला है, केवल तरीके बदल गए हैं।

उन्होंने बताया कि 1971 में लोकसभा चुनाव में जीत के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, और 12 जून 1975 को कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में दोषी करार देते हुए उन्हें 6 वर्षों तक किसी भी निर्वाचित पद पर रहने से अयोग्य ठहराया था।

देश पहले से ही आर्थिक मंदी, महंगाई और खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था। बिहार और गुजरात में छात्रों द्वारा चलाए जा रहे नवनिर्माण आंदोलनों और जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में हुई केरल हड़ताल ने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी। इससे घबराकर कांग्रेस ने 1974 में गुजरात में राष्ट्रपति शासन लागू किया, और 1975 में इंदिरा गांधी ने आधी रात को राष्ट्रपति से आपातकाल पर हस्ताक्षर करवा लिए।

उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान प्रेस की बिजली काट दी गई, नेताओं और आंदोलनकारियों को जेल में डाल दिया गया। मुंगेली के द्वारिका जायसवाल सहित कई लोकतंत्र सेनानियों को भी जेल भेजा गया था।

प्रेसवार्ता में छत्तीसगढ़ शासन रजककार विकास बोर्ड के अध्यक्ष प्रहलाद रजक, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकांत पाण्डेय, लोकतंत्र सेनानी द्वारिका जायसवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष दीनानाथ केशरवानी, जिला मीडिया प्रभारी सुनील पाठक, मिट्ठूलाल यादव, कोटूमल दादवानी, सौरभ बाजपेयी, राजीव श्रीवास समेत कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

इस दौरान पत्रकारों ने पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता पर भी जोर दिया और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मीडिया की स्वतंत्रता को अहम बताया।




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Author: Nawabihan

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