ग्राम पंचायत सचिवों की हड़ताल 29वें दिन भी जारी — तीन सचिवों की मौत के बाद भी सरकार का अड़ियल रवैया, मोदी की “गारंटी” भी रह गई अधूरी

मुंगेली/रायपुर।
छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायत सचिव संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल आज 29वें दिन भी जारी है। आंदोलनरत सचिवों की मांगों को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी और उदासीनता का आरोप लग रहा है। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि 16 अप्रैल को तीन पंचायत सचिवों की मौत हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।



सरकार ने नहीं निभाई “मोदी की गारंटी”

याद दिला दें कि विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर उनकी सरकार बनी तो 100 दिनों के भीतर पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “गारंटी” के तहत इसे प्रमुख मुद्दा बनाया गया था।

लेकिन अब भाजपा सरकार को सत्ता में आए सवा साल से अधिक हो चुका है, फिर भी सचिवों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इससे आहत होकर सचिवों ने हड़ताल का रास्ता चुना है और अब क्रमिक भूख हड़ताल तक शुरू कर दी है।

सरकार पर इग्नोर करने का आरोप
सचिव संघ का आरोप है कि राज्य सरकार उनकी मांगों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है और अड़ियल रवैया अपना रही है। ना तो कोई वार्ता की पहल हो रही है और ना ही आश्वासन पर अमल। सचिवों का कहना है कि वे गांवों की रीढ़ हैं और उन्हीं के माध्यम से जनकल्याणकारी योजनाएं ज़मीन तक पहुँचती हैं। लेकिन आज वे खुद ही अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर बैठने को मजबूर हैं।

*तीन सचिवों की मौत के बाद भी सरकार मौन*
सबसे चिंताजनक बात यह है कि 16 अप्रैल को हड़ताल में शामिल तीन सचिवों की मौत हो गई, फिर भी शासन-प्रशासन संवेदनहीन बना हुआ है। सचिव संघ और उनके परिजनों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा- “सरकार गंभीर है”
इस पूरे मसले पर जब मीडिया ने केंद्रीय मंत्री श्री तोखन साहू से सवाल किया तो उन्होंने कहा,

> “सचिवों की मांगों पर सरकार गंभीर है, उनसे बात कर जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा।”

हालाँकि, सचिव संघ का कहना है कि सरकार की “गंभीरता” केवल बयानों तक सीमित है, ज़मीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

ग्रामों की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई

सचिवों की हड़ताल का सीधा असर गाँवों में देखने को मिल रहा है।

जन्म-मृत्यु पंजीयन

राशन कार्ड निर्माण

मनरेगा कार्य

सफाई व्यवस्था

गली-नाली की मरम्मत जैसे आवश्यक कार्य पूरी तरह ठप हैं।
ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, वहीं नव-निर्वाचित सरपंच भी बिना सचिवों के सहयोग के बेबस हैं।

अब सवाल ये है कि तीन सचिवों की मौत और सैकड़ों की भूख हड़ताल के बाद भी क्या सरकार जगेगी?
क्या “मोदी की गारंटी” केवल एक चुनावी जुमला बनकर रह गई है?
या फिर सरकार देर-सबेर सच में सचिवों की आवाज सुनेगी?

जनता, सचिव और गांव — सब इस सवाल के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।

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